Allah Tala Ki Pasand Aur Na Pasand Hindi
आलमे अरब के मशहूर आलिम मोहतरम अदनान तरशा ने बिलकुल नये और अछूते मोजुन (विषय) पर किताब “अल्लाह को क्या पसन्द है और क्या नापसन्द” मुरतब फर्माकर एक अजीम काम अंजाम दिया है आपने जब इस काम को शुरू किया तो समझा था कि इस विषय पर चन्द आयात कुछ अहादीस ही होंगी लेकिन जैसे-जैसे काम होता गया तो एक बड़ी तस्नीफ़ की शक्ल में इसका नतीजा सामने आया और ये किताब उनकी सब किताबों से ज्यादा मकबुल और मशहूर हुई।
ये किताब 135 उन्वानात (हेडिंग्स्, शीर्षक) पर मुश्तमिल है और हर उन्वान इस क़ाबिल है कि इसे मुस्तकिल किताब, जुमे का खुल्बा या दोनी दर्स बनाया जाए, 300 से ज़्यादा कुआंनी आयात और 400 से ज़्यादा अहादीस बयान की गई है। इस किताब की सब की सब हदीसें सहीह है। इस किताब की सबसे बड़ी ख़ुबी ये है कि इसमें किसी ज़ईफ रिवायत या किसी कच्ची बात का सहारा नहीं लिया गया। हर विषय पर ठोस मुस्तनद और सिकह दलाईल की रोशनी में बात की गई है। तर्जुमा आसानी से समझ में आने वाला और बामुहावरा किया गया है।
अक्सर अहादीस की तहकीक़ अल्लामा नासिरुद्दीन अल्बानी रहमतुल्लाह अलैह की किताबों से ली गई हैं जबकि मुसनद अहमद के हवाले अहमद जैन की तख़रीज़ से पेश किए गए है। कुअनी आयात और अहादीस की तश्रीह मुहद्दिसीन की किताबों से ली गई है। अक्सर हवाले इब्ने कसीर, इमाम कुर्तुबी, इब्ने हजर, इमाम नववी, ख़त्ताबी, मुबारकपुरी, इब्ने कय्यिम और इब्ने तैमियह रहमतुल्लाह अलैहिम की किताबों से पेश किए गए है।
इस किताब को तहरीर करने का मक़सद ये है कि इंसान अल्लाह तआला के महबूब और पसंदीदा बन्दों की पहचान और अलामत जान लें और ऐसे आमाल से बाख़बर हो जाए जो अल्लाह को पसन्द हैं ताकि वो इस पर अमल करके अल्लाह के करीबी बन जाए और ऐसे लोगों और आमाल से वाक़िफ़ हो जाए जो अल्लाह को नापसन्द है।
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