Talash-e-Haq (तलाशे-हक)
यह किताब “तलाशे हक़” मोहतरम जनाब इर्शादुल्लाह मान साहब की सालों की तहकीक व काविश का निचोड़ है। उन की ज़िन्दगी का आग़ाज़ तक़लीद और ख़ानकाही सिलसिलों से हुआ फिर अल्लाह तआला ने उन्हें हक़ को समझने और उस पर अमल करने की तौफीक प्रदान की। इस दौरान उन्होंने भिन्न भिन्न मसालिक और उन के अकाइद व नज़रियात का गहराई से मुताला करके किताब व सुन्नत से उन का जायज़ा लिया। यूं सीधा रास्ता अपनी तमाम तर हक्कानियत के साथ उन पर स्पष्ट हुआ। उन्हीं तफसीलात को उन्होंने किताबी शक्ल में जमा करके उस का नाम “तलाशे हक” रखा, ताकि उन की ये ये पनाह रियाज़त हक तलाश करने वालों के लिए सहूलत बन जाए। किताब को मोहतरम हाफिज़ अब्दुस्सलाम बिन मुहम्मद ने ध्यानपूर्वक पढ़ा और बहुत मुफीद पाया। उन्हीं की तर्गीब पर दारुलउन्दुलुस की तरफ से इसे प्रकाशित करने का फैसला किया गया, मोहतरम मौलाना मुबश्शिर अहमद रब्बानी ने भी किताब को ध्यान से पढ़ा और इस्लाह फरमाई।
किताब के हुस्न को बेहतर करने के लिए उसे भिन्न भिन्न अध्यायों और फस्लों में तक्सीम किया गया, किताबत शुदा आयात लगाई गई और हदीसों की तख़रीज़ का फरीज़ा सय्यद तनवीरुलहक शाह साहब ने अदा किया। हदीसों के अलावा किताबों के हवाला जात में मोहतरम इर्शादुल्लाह मान साहब ही की तख़रीज़ पर भरोसा किया गया है। कम्पोजिंग में मुहम्मद शफीक और हाफिज़ आसिफ रशीद ने भर पूर मेहनत की। अल्लाह तआला लेखक मोहतरम और सारे दोस्तों की काविशों को कुबूल फ़रमाए और उन्हें इस का बेहतरीन बदला प्रदान फरमाए। आमीन!
इस समय हिन्द व पाक में खास कर और पूरी दुनिया में आम तौर से मुस्लमानों की बड़ी संख्या ने सीधे किताब व सुन्नत से फैज़ हासिल करने की बजाए तकलीद की रविश अपना कर मुख़्तलिफ़ गढ़े हुए नज़रियात की पैरवी इख़्तियार कर रखी है, ऐसे करोड़ों मुसलमानों के लिए यह किताब कीमती तोहफा है, इसे पढ़ें, अपने अकाइद व नज़रियात को हक के तराजू पर परखें और किताब व सुन्नत पर अमल करके हक के चाहने वालों की सफों में शामिल हो जाएं कि उसी में दुनिया व आखिरत की कामयाबी का राज़ छुपा है। अल्लाह तआला समझने और अमल करने की तौफीक प्रदान फरमाए। अमीन
सय्यद शौकत सलीम
अल किताब इन्टर नेशनल
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