Pasand – Al Marfa Online Islamic Bookshop https://almarfa.in An Authentic Islamic Bookshop Fri, 08 Dec 2023 18:48:44 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://almarfa.in/wp-content/uploads/2021/04/cropped-site-icon-32x32.png Pasand – Al Marfa Online Islamic Bookshop https://almarfa.in 32 32 181643429 Allah Tala Ki Pasand Aur Na Pasand Hindi https://almarfa.in/shop/aqeedah/hindi-aqeedah/allah-tala-ki-pasand-aur-na-pasand-hindi/ https://almarfa.in/shop/aqeedah/hindi-aqeedah/allah-tala-ki-pasand-aur-na-pasand-hindi/#respond Wed, 08 Jun 2022 13:40:09 +0000 https://almarfa.in/?post_type=product&p=11599 Allah Tala Ki Pasand Aur Na Pasand" on a completely new and untouched Mojun (topic) When you started this work, you understood that this topic But only a few imports would be ahadees, but as the work progressed, the result came out in the form of a big picture and this book became more popular and famous than all his books. This book is composed of 135 Unwanat (Headings, Titles) and every Unwanaan is capable of making it a Mustakil book, Jume Ka Khulba or Doni Dars, more than 300 Kuani imports and more than 400 Ahadith narrated. All the hadiths in this book are true. The biggest feature of this book is that it did not resort to any zeif legend or any crude thing. Every topic has been talked about in the light of concrete Mustanad and Sikh Dalaiel. The phrase is easy to understand and phrased.]]> Allah Tala Ki Pasand Aur Na Pasand Hindi

आलमे अरब के मशहूर आलिम मोहतरम अदनान तरशा ने बिलकुल नये और अछूते मोजुन (विषय) पर किताब “अल्लाह को क्या पसन्द है और क्या नापसन्द” मुरतब फर्माकर एक अजीम काम अंजाम दिया है आपने जब इस काम को शुरू किया तो समझा था कि इस विषय पर चन्द आयात कुछ अहादीस ही होंगी लेकिन जैसे-जैसे काम होता गया तो एक बड़ी तस्नीफ़ की शक्ल में इसका नतीजा सामने आया और ये किताब उनकी सब किताबों से ज्यादा मकबुल और मशहूर हुई।

ये किताब 135 उन्वानात (हेडिंग्स्, शीर्षक) पर मुश्तमिल है और हर उन्वान इस क़ाबिल है कि इसे मुस्तकिल किताब, जुमे का खुल्बा या दोनी दर्स बनाया जाए, 300 से ज़्यादा कुआंनी आयात और 400 से ज़्यादा अहादीस बयान की गई है। इस किताब की सब की सब हदीसें सहीह है। इस किताब की सबसे बड़ी ख़ुबी ये है कि इसमें किसी ज़ईफ रिवायत या किसी कच्ची बात का सहारा नहीं लिया गया। हर विषय पर ठोस मुस्तनद और सिकह दलाईल की रोशनी में बात की गई है। तर्जुमा आसानी से समझ में आने वाला और बामुहावरा किया गया है।

अक्सर अहादीस की तहकीक़ अल्लामा नासिरुद्दीन अल्बानी रहमतुल्लाह अलैह की किताबों से ली गई हैं जबकि मुसनद अहमद के हवाले अहमद जैन की तख़रीज़ से पेश किए गए है। कुअनी आयात और अहादीस की तश्रीह मुहद्दिसीन की किताबों से ली गई है। अक्सर हवाले इब्ने कसीर, इमाम कुर्तुबी, इब्ने हजर, इमाम नववी, ख़त्ताबी, मुबारकपुरी, इब्ने कय्यिम और इब्ने तैमियह रहमतुल्लाह अलैहिम की किताबों से पेश किए गए है।

इस किताब को तहरीर करने का मक़सद ये है कि इंसान अल्लाह तआला के महबूब और पसंदीदा बन्दों की पहचान और अलामत जान लें और ऐसे आमाल से बाख़बर हो जाए जो अल्लाह को पसन्द हैं ताकि वो इस पर अमल करके अल्लाह के करीबी बन जाए और ऐसे लोगों और आमाल से वाक़िफ़ हो जाए जो अल्लाह को नापसन्द है।

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