amaal – Al Marfa Online Islamic Bookshop https://almarfa.in An Authentic Islamic Bookshop Sun, 17 Dec 2023 06:41:39 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7 https://almarfa.in/wp-content/uploads/2021/04/cropped-site-icon-32x32.png amaal – Al Marfa Online Islamic Bookshop https://almarfa.in 32 32 181643429 Sahih Fazail-e-Amaal Hindi https://almarfa.in/shop/others/sahih-fazail-e-amaal-hindi/ https://almarfa.in/shop/others/sahih-fazail-e-amaal-hindi/#respond Mon, 06 Dec 2021 16:28:47 +0000 https://almarfa.in/?post_type=product&p=10371 Sahih Fazail-e-Amaal Hindi (सहीह फज़ाइले आमाल)

अल्लाह तआला ने इस इंसान को पैदा करके मुख्तलिफ़ क़िस्म की चाहतों और ख्वाहिशों को भी इसके साथ लगा दिया। नफ़ा के हासिल करने की ख्वाहिश, नुक्सान से बचने और दूर रहने की ख़्वाहिश नफ़्से इंसानी का बहुत अहम हिस्सा है। नफ़ा के असबाब का इख़्तियार करना, नुक्सान के अस्वाब से बचना इसी का नतीजा है। इसलिए अल्लाह तआला ने आदम व हव्वा को ज़मीन पर उतारते समय तगींव व तहींब से मुखातब फ़रमाया:

“उतर जाओ ज़मीन पर, वहां तुम्हें मेरी हिदायत आएगी तो जो हिदायत क़बूल करेगा और उसकी पैरवी करेगा तो वह गुमराह होगा और न बदबख़्त होगा। और जो मेरी याद से मुंह मोड़ेगा तो उसकी ज़िंदगी तंग हो जाएगी और क़ियामत के दिन हम उसे अंधा उठाएंगे।” (सूरह ताहा – 123-124 )

अल्लाह तआला की एक यह भी बड़ी रहमत है कि अम्बिया किराम अलैहि को हर ज़माने में ख़ुशख़बरी के लिए भेजा ताकि लोगों को ख़ुदा के दीन की तरफ़ बुलाएं, सबसे आख़िर में ख़ातमुल अम्बिया मुहम्मद सल्ल. को बशारत देने और डराने वाले के लक़ब से नावाज़ कर क़ियामत तक के लिए आप की लाई हुई शरीअत को उन्हें दोनों मायनों के जरिए क़बूल करने की दावत दी।

जन्नत व जहन्नम, अज़ाब व सवाब दुनिया व आख़िरत की भलाई इन सबका ज़िक्र इसी लिए है कि मुसलमान इन पर ईमान ला कर अल्लाह की रज़ामंदी और जन्नत के हुसूल के सबब को बरतें और ख़ुदा के अजाब के असबाब से दूर रहने की कोशिश करें। क़ुरआन और सुन्नत में तगींब व तींब के उसलूब से मुख्तलिफ़ मक़ामात पर लोगों को इस्लाह की दावत दी गई है।

यह हक़ीक़त है कि एक मजदूर जब मजदूरी करता है तो इसलिए कि उसके पीछे उसे रोज़ी मिलेगी। अगर उसको यक़ीन हो कि मेहनत और काविश से उसे कोई फ़ायदा न मिलेगा तो वह अपने को क्यों हल्कान करेगा। अल्लाह की रज़ा और ग़ज़ब फिर आख़िरत में हिसाब व किताब, जन्नत व जहन्नम पर ईमान यह ईमान बिलग़ैब है, यह ईमान जिस क़द्र पुख्ता होगा उसी क़द्र इंसान के ऊपर पहरेदार बन कर उसको बुराईयों से दूर रखने का सबब बनेगा। इंसानी पहरेदार और पुलिस की उसे ज़रूरत नहीं। उसे यक़ीन है कि अल्लाह की आंख मुझे देख रही है, अल्लाह के फ़रिश्ते हमारे सारे आमाल को लिख रहे हैं।

इस ईमान ही ने हज़रत माइज़ बिन मालिक असलमी को मजबूर कर दिया कि तुम ख़ुद अल्लाह के रसूल सल्ल. की सेवा में हाज़िर हो कर ज़िना के जुर्म का एतिराफ़ करके अपने को दुनिया के अज़ाब में मुब्तला करके आख़िरत अज़ाब से बच जाओ, उन्हें किसी निगहबान ने न देखा और न उसके गुनाह पर कोई गवाह था, लेकिन आख़िरत के डर ने उन्हें इस जगह पहुंचा दिया जहां उन्होंने जान दे दी।

इस्लाम में फ़ज़ाइले आमाल व अक़वाल की बड़ी अहमियत है, क्योंकि अल्लाह की मर्जी का मुतलाशी इंसान इन पर अमल करके ज़्यादा से ज्यादा सवाब कमा कर अल्लाह को ख़ुश करना चाहता है

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Sahih Fazail-e-Amaal (Urdu) https://almarfa.in/shop/others/sahih-fazail-e-amaal-urdu/ https://almarfa.in/shop/others/sahih-fazail-e-amaal-urdu/#respond Tue, 17 Aug 2021 04:40:57 +0000 https://almarfa.in/?post_type=product&p=8712 Dawat-E-Islami Ko Aam Karne Ke Liye Sahih Fazail-E-Amaal.

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